Thursday, October 30, 2025
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बदलेंगे बैंकिंग नियम: खाते-लॉकर में जोड़ सकेंगे 4 नॉमिनी, तय कर सकेंगे हिस्सेदारी भी

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दिल्ली। देशभर के बैंक खाताधारकों के लिए राहत की खबर है। बैंकिंग सिस्टम 1 नवंबर 2025 से एक नई और सुविधाजनक व्यवस्था लागू करने जा रहा है। नए नियम के तहत अब खाताधारक अपने बैंक खाते में एक या दो नहीं, बल्कि अधिकतम चार उत्तराधिकारियों (नॉमिनी) को जोड़ सकेंगे। यही नहीं, खाताधारक यह भी तय कर पाएंगे कि हर नॉमिनी को कितनी राशि मिलेगी।

1 नवंबर से लागू होंगे नए नियम
बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत यह नया प्रावधान देशभर के सभी बैंकों में 1 नवंबर 2025 से लागू होगा। इसका उद्देश्य बैंक ग्राहकों को अधिक सुविधा और पारदर्शिता प्रदान करना है। सरकार ने इससे संबंधित सभी आदेश राजपत्र में प्रकाशित कर दिए हैं।

संशोधन अधिनियम में कुल 19 बदलाव शामिल हैं, जो इन पांच प्रमुख कानूनों से जुड़े हैं:
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934
बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949
भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955
बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970
बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1980

लॉकर और सेफ डिपॉज़िट में भी अब एक से अधिक नॉमिनी
नया नियम केवल बैंक खातों तक सीमित नहीं है। अब ग्राहक अपने लॉकर या बैंक में रखी कीमती वस्तुओं के लिए भी एक से अधिक नॉमिनी रख सकेंगे।
यह व्यवस्था बैंकिंग कानून की धारा 10, 11, 12 और 13 के तहत लागू होगी, जो जमा खाते, सुरक्षित अभिरक्षा और सुरक्षा लॉकर से संबंधित प्रावधानों को कवर करती हैं।

नए नियमों की मुख्य बातें
एकाधिक नामांकन की सुविधा: अब बैंक ग्राहक चार तक नॉमिनी जोड़ सकेंगे।

हिस्सेदारी तय करने का अधिकार: खाताधारक हर नॉमिनी को मिलने वाली राशि का प्रतिशत स्पष्ट रूप से तय कर सकते हैं, जो कुल मिलाकर 100% होना चाहिए।

क्रमिक नामांकन का विकल्प: ग्राहक यह भी चुन सकते हैं कि अगला नॉमिनी तभी प्रभावी होगा जब पहले वाले का निधन हो, जिससे उत्तराधिकार की प्रक्रिया सरल और स्पष्ट हो जाएगी।

लॉकर और सुरक्षित वस्तुओं के लिए नियम: इन मामलों में केवल क्रमिक नामांकन की सुविधा दी जाएगी, जिससे दावा निपटान की पारदर्शिता बनी रहे।

ग्राहकों के लिए बड़ा कदम
बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम खाताधारकों और उनके परिवारों दोनों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। इससे दावा निपटान प्रक्रिया में विवाद और देरी जैसी समस्याएं काफी हद तक खत्म हो जाएंगी।

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