जगदलपुर। Bastar Lok Sabha Election 2024: बस्तर से लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए लखेश्वर बघेल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी की दौड़ में उनका भी नाम था लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। पार्टी ने उन्होंने लोकसभा स्तरीय चुनाव संचालन समिति का संयोजक बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी है। पार्टी के वह ऐसे नेता है जो बिना लागलपेट के अपनी बात खरी-खरी कहने के लिए जाने जाते हैं। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले नेताओं को लेकर उनका कहना है कि विपक्षी पार्टियों को तोड़ना, नेताओं को डराना धमकाना उनके एजेंडा में शामिल है।
बघेल का दावा है कि उन्हें भी लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले भाजपा में शामिल होने का आफर दिया गया था। पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज के विधानसभा चुनाव लड़ने के निर्णय को उनकी बड़ी भूल करार देते हुए बैज को कांग्रेस में लंबी रेस का घोड़ा बताया। जगदलपुर ब्यूरो के सीनियर रिपोर्टर विनोद सिंह ने लखेश्वर बघेल के साथ बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश……
सवाल: आप भी लोकसभा चुनाव में टिकट के दावेदार थे, पीछे क्यों हट गए?
जवाब: मैं दावेदार नहीं था। मेरा नाम मीडिया के लोगों ने सामने लाया था। जब मुझसे केंद्रीय संगठन ने पूछा तो मैनें बता दिया कि मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता। मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा नहीं है। मुझसे पूछा गया कि कौन प्रत्याशी उपयुक्त रहेगा तो मैनें अपनी पंसद बता दी लेकिन उसे टिकट नहीं दी गई यह अलग बात है कि जिसे टिकट दी गई वह मेरी दूसरी पंसद थे।
सवाल: पिछले कुछ समय से कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति है, नेताओं-कार्यकर्ताओं में भाजपा में शामिल होने की होड़ क्यों है?
जवाब: देखिए भाजपा के एजेंडे में विपक्षी दलों को तोड़कर उनके एक लाख नेताओं-कार्यकर्ताओं को शामिल कराना शामिल है। मेरे पास भी आफर आया था। भाजपा के एक स्थानीय नेता जो अपने आप को बड़ा नेता मानते हैं ने मुझसे संपर्क किया। बोल रहे थे आपने भाजपा से राजनीति शुरू की थी पुरानी पार्टी में लौट आइए। आपको भाजपा में शामिल कराने से मेरी भी प्रतिष्ठा बढ़ जाएगी। भाजपा के प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेता से भी संपर्क कराया गया। बड़ा पद देने की बात कही गई। मैनें साफ मना कर दिया। भाजपा का काम है जो सीधे तौर पर न आए उसे डराएं धमकाएं। मैं क्यों डरूंगा, मैनें साफ कह दिया आप अपना काम करिए मुझे अपना काम करने दीजिए।
सवाल: आपने भी भाजपा से राजनीति शुरू की थी आज कांग्रेस में हैं, ऐसा क्या हुआ था?
जवाब: मैं आदिम जाति कल्याण विभाग में सरकारी नौकरी में था। सामाजिक कार्यों में रूचि थी इससे नेताओ को लगता था कि यह लड़का उनकी कुर्सी के लिए भविष्य में खतरा बन सकता है। मेरा स्थानांतरण सरगुजा करा दिया। उसी दिन मैनें ठान लिया मैं राजनीति में आऊंगा। भाजपा नेता बलीराम कश्यप से काफी प्रभावित था। उनके आग्रह पर भाजपा में शामिल होकर राजनीति शुरू की। पार्टी ने 1998 में विधायक का चुनाव लड़ाया लेकिन हार गया। इसके कुछ दिनों बाद जिला पंचायत का चुनाव था। मैं लड़ रहा था, बलीराम कश्यप ने मेरा प्रचार भावी जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में किया। मैं जीता लेकिन अध्यक्ष बनाने की बारी आई तो मुझे किनारे कर दिया गया। इसके आगे क्या हुआ बस्तर के लोग सारा किस्सा जानते हैं। पार्टी में मुझे आहत किया जाने लगा इससे मैनें भाजपा ही छोड़ दी और कांग्रेस में आ गया।
सवाल: पीसीसी अध्यक्ष दीपक सांसद हैं लेकिन ऐसा क्या हुआ कि पार्टी ने उनकी टिकट काट दी?
जवाब: दीपक बैज युवा और होनहार नेता है। वह बस्तर ही नहीं प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस की लंबी रेस का घोड़ा हैं। बैज ने सांसद और पीसीसी अध्यक्ष रहते विधानसभा चुनाव लड़ने की बड़ी भूल कर दी। जरूरत नहीं थी उन्हें चुनाव लड़ने की। पार्टी के प्रदेश का नेतृत्व उनके पास है। उन्हें चुनाव लड़ाने का काम करना चाहिए था। मैं कहूंगा बीती को बिसार कर आगे बढ़ें। उनका भविष्य उज्जवल है। मुझे लगता है कि पुरानी भूल को न दोहराते हुए उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया होगा ताकि पूरे प्रदेश में प्रचार कर सकें।
सवाल: विस चुनाव में कांग्रेस की हार हुई लोकसभा में किस तरह के परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं?
जवाब: कांग्रेस की सरकार ने भूपेश बघेल के नेतृत्व में हर क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। मैं नहीं कहता जनता से पूछ लें? किसानों, महिलाओं, कर्मचारियों, बेरोजगारों, युवाओं किस वर्ग के लिए काम नहीं किया। इसलिए मैं मानता हूं कि कांग्रेस की हार अप्रत्याशित थी। हार से सबक लेकर हम भविष्य की ओर देखकर काम कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा से अधिक सीटें जीतेगी। अगली बार प्रदेश में सरकार भी बनाएंगी।
सवाल: आप लोस चुनाव संचालन समिति के संयोजक हैं, आपकी पार्टी के जिस तरह के बयान आ रहे हैं उससे क्या नुकसान नहीं होगा?
जवाब: मैं भाजपा में रहा हूं। बस्तर में बलीराम कश्यप, मानकूराम सोड़ी के कद का क्या दूसरा नेता हुआ। बलीराम कश्यप के बयानों को भी सुना देखा है। देखिए बस्तर की आदिवासी संस्कृति में बड़े-बुजुर्ग कभी रोष में कुछ बोल जाते हैं तो उसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए। कवासी लखमा छह बार के विधायक हैं। उनके व्यवहार को सभी जानते हैं, वो सरल और सहज हैं। उनकी मंशा किसी को ठेस पहुंचाने की नहीं होती।
सवाल: पीएम मोदी की चुनावी सभा के बाद भाजपा जीत के दावे कर रही है आपका क्या कहना है?
जवाब: प्रधानमंत्री ने बस्तर में चुनावी सभा ली। क्या उन्होंने बस्तर की जनता के मुद्दों पर बात की? मतांतरण भाजपा का विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा था उस पर प्रधानमंत्री ने तो कुछ नहीं कहा। सभा में केवल मोदी गारंटी की चर्चा हुई। बस्तर को रावघाट- जगदलपुर रेललाइन की गारंटी, नगरनार स्टील प्लांट का विनिवेशीकरण नहीं करने की गारंटी भाजपा को देनी चाहिए क्योंकि वह केंद्र की सत्ता में हैं। ऐसा कुछ तो नहीं हुआ।