Sunday, November 10, 2024
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बड़ी खबर : हसदेव में पेड़ों की कटाई को लेकर गूंजा सदन, विपक्ष के विधायक हुए निलंबित…

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रायपुर। विधानसभा में बुधवार को हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई का मुद्दा विपक्ष ने जोर-शोर से उठाया। विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव देकर चर्चा की मांग की। स्पीकर डॉ। रमन सिंह के स्थगन प्रस्ताव को अग्राह्य करने पर विपक्ष ने हंगामा मचाया। सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित होने के बाद फिर शुरू होते ही विपक्ष ने चर्चा की मांग दोहराते हुए गर्भगृह में उतरकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए। गर्भगृह में उतरने पर विपक्षी सदस्य स्वमेव निलंबित हो गए।

सदन में विपक्ष के चर्चा की मांग दोहराए जाने पर संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आसंदी की व्यवस्था आने के बाद भी विपक्ष की मांग उचित नहीं। सदन में चर्चा के पर्याप्त मौक़े मिलेंगे।

इसके पहले नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने सदन में कहा कि हसदेव क्षेत्र में सभी कोल ब्लॉक रद्द करने को लेकर इस सदन में ही संकल्प 26 जुलाई 2022 को पारित किया गया था। केंद्र सरकार को पत्र प्रेषित किया गया था। इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। सरकार बनने और मुख्यमंत्री बनने के पहले वन विभाग ने हसदेव में 15 हज़ार 307 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी। उन्होंने कहा कि विधानसभा ने अशासकीय संकल्प पारित कर दिया था, इसके बाद भी इस तरह का आदेश जारी करना दुखद है। ये गंभीर समस्या है। हसदेव ख़त्म होने से बांगो बांध ख़त्म हो जाएगा। वन खत्म हो जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इसी सदन में सर्वसम्मति से अशासकीय संकल्प पारित किया गया था। इसके बाद भी कटाई की अनुमति दे दी गई। ये कौन सी अदृश्य शक्ति है, जिसमें पेड़ों की कटाई की अनुमति दे दी गई। इससे वन्यजीव प्रभावित होंगे। वहां के आदिवासी प्रभावित होंगे। बांगो बांध प्रभावित होने की वजह से कई जिलों की सिंचाई से प्रभावित होगा।

कांग्रेसी विधायक कुंवर निषाद और विक्रम मंडावी ने कहा कि जंगल ख़त्म होने से जीवन प्रभावित होगा। हसदेव में हाथी मानव द्वन्द चल रहा है। हसदेव क्षेत्र के आदिवासी अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं। आदिवासियों के जल, जंगल और ज़मीन पर खतरा मंडरा रहा है।

कांग्रेसी विधायक अनिला भेड़िया ने कहा कि उद्योगपतियों के लिए जंगल काटा जा रहा है। केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है। हसदेव को बचाने और आदिवासियों के संरक्षण के लिए काम करना चाहिए। अंबिका मरकाम ने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री आदिवासी हैं। हसदेव में आदिवासियों का सबसे बड़ा नुक़सान हो रहा है। हम मानते हैं कि आदिवासी मुख्यमंत्री होने का लाभ मिलता।

अटल श्रीवास्तव ने कहा कि आदिवासियों की ज़मीन उजाड़ने का काम किया जा रहा है। पुलिस के पहरे में पेड़ों की कटाई हो रही है। अदाणी को दिये गये एमडीओ में ये स्पष्ट रूप से लिखा है कि सालों तक कोल का खनन किया जा सकता है, फिर एक नये ब्लॉक की क्या ज़रूरत? लालजीत सिंह राठिया ने कहा कि आदिवासी मुख्यमंत्री राज्य के आदिवासियों का सुरक्षा कवच हैं। उन्हें आदिवासियों की इस समस्या का निराकरण करना चाहिए। हसदेव की कटाई से बांगो बांध पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगा।

हर्षिता बघेल और सावित्री मंडावी ने कहा कि हसदेव को केंद्र और राज्य का विषय ना बनाकर आदिवासियों के हित में फ़ैसला लिया जाना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने हज़ारो सालों से इस जंगल को बचाकर रखा है। ये वन्य जीवों के साथ साथ आदिवासी संस्कृति को ख़त्म करने जैसा है।

राघवेंद्र सिंह ने कहा कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया था कि हसदेव क्षेत्र के किसानों की कमाई 160 फ़ीसदी बढ़ी है। ये सघन क्षेत्र के जंगल हैं। खड़गवा क्षेत्र में वन अधिकार पट्टे बंटे हैं। राजस्थान के पास पर्याप्त कोयला है। इस भंडार से काम चल सकता है। इसके बाद भी काटने की अनुमति देती है तो ये गंभीर मुद्दा होगा।

बीजेपी विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने हसदेव के लिये उस वक़्त मुझे विशेष अनुमति दिया था, जब वह ख़ुद आसंदी पर बैठे थे। बिसाहू दास महंत, रामचंद्र सिंहदेव जैसे नेताओं ने बांगो बांध की कल्पना की थी। सारे विकास के काम गंगरेल में हो रहे थे, बागों में नहीं हो रहे थे। जो आज आदिवासी हितों को रक्षा की बात कर रहे हैं, उनमें से एक आदमी भी बोलने खड़ा नहीं हो रहा था।

भाजपा विधायक ने कहा कि मैंने ये भी कहा था कि राहुल गांधी जब मदनपुर आये थे, तब जिस चबूतरे में बैठे थे, वहाँ के किसानों की ज़मीन बेदख़ल करने का आदेश भी पिछली सरकार ने दिया था। पिछली सरकार ने तीन आदेश देकर पेड़ों को आरी देने का काम किया था। ये काम विष्णुदेव साय सरकार ने नहीं किया है। उस दिन मैं चीख-चीख कर कह रहा था कि पेड़ों की कटाई के सभी आदेशों को रद्द कर दिया जाये। उस दिन ही सख़्ती से सरकार अपने सभी आदेशों को रद्द कर देती तो ज़्यादा बेहतर होता।

नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने कहा कि यदि आसंदी पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाये तो ये चिंता का विषय है। देश में साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन कोयले का भंडार है, जो हसदेव क्षेत्र के बाहर हैं। हसदेव को बचाकर भी कोयले की ज़रूरत पूरी की जा सकती है। हसदेव में सौ से अधिक प्रकार के वनस्पति हैं। सैकड़ों प्रकार के जीव-जंतु हैं। मुख्यमंत्री का हाथ, ना उधर का शामिल है, ना इधर का शामिल है।

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