दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की जून 2025 की रिपोर्ट ‘ग्रोइंग रिटेल डिजिटल पेमेंट्स (द वैल्यू ऑफ इंटरऑपरेबिलिटी)’ में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) को ट्रांजैक्शन वॉल्यूम के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा रिटेल फास्ट-पेमेंट सिस्टम (एफपीएस) माना गया है। इसके अलावा, एसीआई वर्ल्डवाइड की 2024 की रिपोर्ट ‘प्राइम टाइम फॉर रियल-टाइम’ के अनुसार, यूपीआई की ग्लोबल रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम ट्रांजैक्शन वॉल्यूम में लगभग 49% हिस्सेदारी है।

यूपीआई की वर्तमान स्थिति और अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय रियल-टाइम पेमेंट प्लेटफॉर्म की तुलना में मार्केट शेयर का विस्तृत तुलनात्मक विवरण नीचे दी गई तालिका में दिया गया है।
यूपीआई सहित डिजिटल पेमेंट सिस्टम को अपनाने में छोटे व्यापारियों की मदद करने के लिए, सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) और नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (एनपीसीआई) ने समय-समय पर कई पहल की हैं। इनमें कम वैल्यू वाले भीम-यूपीआई ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए इंसेंटिव स्कीम, और पेमेंट्स इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (पीआईडीएफ) शामिल हैं, जो टियर-3 से 6 केंद्रों में डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे पीओएस टर्मिनल और क्यूआर कोड) लगाने के लिए बैंकों और फिनटेक कंपनियों को अनुदान सहायता प्रदान करता है। 31 अक्टूबर, 2025 तक, पीआईडीएफ के माध्यम से टियर-3 से 6 केंद्रों में लगभग 5.45 करोड़ डिजिटल टच पॉइंट लगाए गए हैं। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2024-25 तक, लगभग 6.5 करोड़ व्यापारियों को कुल 56.86 करोड़ क्यूआर कोड दिए गए।
सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक और एनपीसीआई ने पूरे देश में सार्वजनिक सेवाओं, परिवहन और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म सहित सभी बिज़नेस में रूपे और यूपीआई के ज़रिए डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है।



