भारतीय वनस्पतियों में लगभग 20,000 पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें विभिन्न औषधीय गुण होते हैं और इनमे से लगभग 7% विलुप्त होने के कगार पर हैं।
रायगढ़। ओपी जिंदल विश्वविद्यालय (OP Jindal University), रायगढ़ के स्कूल ऑफ़ साइंस के बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा बायोटेक्नोलॉजी के छात्रों के लिए ‘एथ्नो बोटेनिकल स्टडी ऑफ़ लीफी वेजिटेबल्स यूज्ड बाय रूरल कंम्यूनिटी ऑफ छत्तीसगढ़’ विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन 16 जून को किया गया। बीएससी (ऑनर्स) बायोटेक्नोलॉजी के छात्रों के लिए आयोजित इस अतिथिथि व्याख्यान की प्रमुख वक्ता डॉ. सुषमा पटेल, सहायक प्रोफेसर, वनस्पति विज्ञान विभाग, किरोड़ीमल राजकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रायगढ़ थीं। कार्यक्रम के आयोजन के उद्देश्यों के बारे में डॉ गिरीश चंद्र मिश्रा, एसोसिएट डीन, स्कूल ऑफ़ साइंस ने बताया की दुनिया भर में दवाओं के रूप में पौधों का विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोग का एक लंबा इतिहास रहा है।
पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान और चिकित्सा संयंत्र संसाधनों के संरक्षण पर जोर देने के साथ,साथ नयी पीढ़ी को उनके बारे में ज्ञान प्रदान करने की आवश्यकता है। भारतीय वनस्पतियों में लगभग 20,000 पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें विभिन्न औषधीय गुण होते हैं और इनमे से लगभग 7% विलुप्त होने के कगार पर हैं। वर्तमान समय में हर्बल उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है कि अन्वेषित एवं गैर-अन्वेषित एथ्नो बोटेनिकल प्लांट्स के बारे में जानकारी इकट्ठी की जाय और उनकी उपयोगिताओं के बारे में स्वदेशी ज्ञान एकत्र किया जाए। इस व्याख्यान का उद्देश्य छात्रों को छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाने वाली पत्तेदार सब्जियों जिनमें न केवल पोषक तत्व होते हैं बल्कि औषधीय गुण भी होते हैं, के बारे में जानकारी प्रदान किया जाय।
अतिथि व्याख्यान सत्र की रिसोर्स पर्सन डॉ. सुषमा पटेल, सहायक प्रोफेसर, वनस्पति विज्ञान विभाग, किरोड़ीमल राजकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रायगढ़ ने अपने प्रेजेंटेशन के माध्यम से छत्तीसगढ़ में उपलब्ध 35 विभिन्न पत्तेदार सब्जियों के औषधीय महत्व के बारे में छात्रों को विस्तृत जानकारी दिया और उनके महत्त्व के बारे में बताया। डॉ पटेल का व्याख्यान सत्र इंटरैक्टिव रहा और छात्रों द्वारा प्रश्न पूंछे गए जिसका उत्तर सरल तरीके से देकर डॉ पटेल ने शंकाओं का समाधान किया।
ओपी जिंदल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. डी. पाटीदार ने आयोजकों को कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए बधाई दिया और कहा की इस तरह के कार्यक्रम जो की नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों को पूरा करते हैं, को समय-समय पर आयोजित किया जाना चाहिए जिससे छात्रों में न केवल जैव प्रौद्योगिकी सम्बंधित ज्ञान बल्कि पारम्परिक ज्ञान भी मिल सके। उन्होंने जोर देते हुए कहा की आज मांग को देखते हुए गैर-अन्वेषित एथ्नो बोटेनिकल प्लांट्स के बारे में अनुसंधान किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. तानिया सेनगुप्ता राठौर, एसोसिएट प्रोफेसर, बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने प्रमुख वक्ता सुषमा पटेल, डीन – स्कूल ऑफ़ साइंस डॉ. गिरीश मिश्रा, सभीप्रतिभागी छात्रों एवं सहयोगी प्राध्यापकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम का संयोजन डॉ. तान्या सेनगुप्ता राठौर और डॉ. प्रांजल कुमार, सहायक प्रोफेसर, बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने किया।