Wednesday, January 29, 2025
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छत्तीसगढ़ में गोवंश तस्करी पर अब 7 साल कैद, नया नियम लागू

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में गौ वंश के अवैध परिवहन पर सरकार ने सख्ती दिखाई है। डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने नया आदेश जारी किया है। इसके मुताबिक, सक्षम अधिकारी की अनुमति के बगैर परिवहन अवैध होगी। गैर जमानती अपराध माना जाएगा। अवैध परिवहन पाए जाने पर सात साल तक की सजा और पचास हजार रुपए का जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। जिस रूट पर अवैध परिवहन पाया जाता है वहां के एसपी और थाना प्रभारी का सीआर भी खराब होगा।

आदेश में कहा गया है कि ⁠अवैध परिवहन करने वालों पर ही बर्डन ऑफ प्रूफ की जिम्मेदारी होगी। ⁠परिवहन के लिए इस्तेमाल होने वाली गाड़ी में फलैक्स लगाने की अनिवार्यता होगी। अवैध परिवहन में इस्तेमाल गाड़ी राजसात की जाएगी। गाड़ी मालिकों पर भी कार्रवाई की जाएगी।

गौ वंश के अवैध परिवहन को रोकने जिला स्तर पर एक राजपत्रित अधिकारी की नियुक्ति होगी। ये नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाएंगे। अवैध परिवहन के पुराने प्रकरणों को जिलेवार एकत्रित किया जाएगा। आदतन अपराधियों को ट्रैक किया जाएगा। उन रास्तों पर भी निगरानी कड़ी होगी, जहां से अवैध परिवहन किया जाता रहा है।

यदि नियम विरूद्ध परिवहन होना पाया जाता है तो जहां से परिवहन शुरू हुआ और जहां वाहन जब्त किया गया, इस बीच के सभी पुलिस अधीक्षक और थाना प्रभारियों के सर्विस बुक में नकारात्मक टीप दर्ज की जाएगी। अवैध परिवहन में पुलिस की संलिप्तता पर कठोर कार्रवाई होगी।

ये हैं प्रमुख प्रावधान

  • पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 अनुसार पशुओं को मारने, ठोकर मारेगा, उस पर अत्यधिक सवारी करेगा, अत्यधिक बोझ लादेगा या किसी यान में ऐसे रीति से ले जाएगा, जिससे उसे यातना पहुंचती है या उसे परिरूद्ध करेगा, पर्याप्त खाना, जल या आश्रय नहीं देगा, उनके विरुद्ध दांडिक कार्यवाही किए जाने का प्रावधान किया गया है।
  • गौवंश एवं दुधारू पशुओं की तस्करी एवं वध की घटनाओं के रोकथाम के लिए आसूचना तंत्र विकसित किया जाएगा।
  • गौवंश का वध व वध किए जाने का प्रयास किए जाने की सूचना प्राप्त होने पर घटना पर तत्काल संज्ञान लेते हुए सुसंगत धाराओं में अपराध दर्ज कर अभियुक्तों की पहचान स्थापित करते हुए कार्यवाही की जाएगी।
  • गौवंश एवं दुधारू पशुओं को अवैध परिवहन (तस्करी) के दौरान जब्त करने पर नियमानुसार संबंधित विभाग से समन्वय स्थापित करते हुए गौशाला कांजी हाउस या संबंधित संस्था को सुपुर्दगी में दिया जाएगा।
  • पशु वध शालाओं के विरुद्ध जिला मजिस्ट्रेट के साथ समन्वय स्थापित करते हुए विधिसम्मत कार्यवाही की जाएगी।
    गौवंश का परिवहन सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी निर्धारित प्रारूप में अनुज्ञापत्र के बिना परिवहन न हो, यह सुनिश्चित किया जाएगा।
  • अनुज्ञापत्र धारक वाहनों में मवेशी के परिवहन करते समय पृथक से ऐसे वाहनों पर फ्लैक्स/बैनर लगाकर चिन्हाकिंत किया जाएगा कि ऐसे वाहन में गौवंश का परिवहन किया जा रहा है।
  • अवैध रूप से गौवंश परिवहन करने वाले वाहनों को राजसात किया जाएगा एवं वाहन मालिक पर भी आपराधिक दाण्डिक कार्यवाही किया जाएगा
  • प्रकरण में फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
  • आरोपी, संदिग्ध, गवाह व मुखबीर से सघन पूछताछ करते हुए सूचना एकत्रित किया जाएगा।
  • विगत वर्षों में हुई घटनाओं की जानकारी संकलित व सूचीबद्ध करते हुए तस्करी के रूट, संवेदनशील क्षेत्र को चिन्हित करते हुए विशेष कार्य योजना तैयार की जाएगी।
  • जिला/थाना स्तर पर गौवध तथा गौवंश की तस्करी की घटनाओं में संलिप्त व्यक्तियों को चिन्हित कर इनके विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
  • प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में विशेष रूप से अवैध परिवहन (तस्करी) रोकने संवेदनशील क्षेत्रों में स्थैतिक सर्विलेंस पाइंट स्थापित की जाएगी।
  • तस्करी में प्रयोग होने वाले संभावित मार्गों पर निरंतर पेट्रोलिंग की जाएगी।
  • अभियुक्तों द्वारा अवैध तस्करी से अर्जित सम्पत्ति को चिन्हित करते हुए नियमानुसार जब्ती/कुर्की की कार्रवाई की जाएगी।
  • विगत वर्षों की घटनाओं में संलिप्त अभियुक्तों की सूची तैयार कर आदतन अपराधियों की हिस्ट्रीशीट खोली जाएगी।
  • अपराध में संलिप्त सह-अभियुक्तों व सहयोगियों को चिहिन्त कर उन पर सतत् निगरानी रखी जाएगी।
  • उक्त प्रकरणों में अपराध विवेचना के साथ वित्तीय जांच एवं मनीट्रेल का भी पता लगाया जाएगा।
  • उक्त घटनाओं की रोकथाम के लिए अन्य विधि प्रवर्तक एजेंसी व राज्यों के साथ भी जानकारी साझा की जाएगी।
  • जिला स्तर पर गौवंश के वध तथा गौवंश व दुधारू पशुओं की तस्करी (अवैध परिवहन) से संबंधित समस्त लम्बित प्रकरणों की सूची तैयार कर इनका समुचित पर्यवेक्षण/मानिटरिंग करते हुए शीघ्र कार्यवाही पूर्ण कराकर निराकरण किया जाए।
  • दोषमुक्ति प्रकरणों की समीक्षा किया जाकर विवेचना की कमियों की पूर्ति के लिए आवश्यक कार्यवाही की जाए।
    न्यायालय में विचाराधीन मामलों की अभियोजन में प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की जाए, जिससे अभियुक्तों की जमानत का लाभ न मिल सके तथा अभियुक्त को अभियोजित किया जा सके।
  • जिला स्तर पर एक राजपत्रित अधिकारी को उक्त घटनाओं की रोकथाम व पर्यवेक्षण करने नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी व इसकी जानकारी सभी थानों/जिला स्तर/सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि उक्त घटनाओं के संबंध में जानकारी नोडल अधिकारी को प्रदान की जा सके।
  • यदि किसी पुलिस अधिकारी/कर्मचारी की गौवंश के वध, गौवंश व दुधारू पशुओं की तस्करी (अवैध परिवहन) की कार्यवाही में किसी प्रकार की शिथिलता व संलिप्तता पायी जाती है तो उनके विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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