G20 समिट दिल्ली: भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने रविवार (10 सितंबर) को भारतीय राजनयिकों की टीम की सराहना की और कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन में अडॉप्ट किए गए दिल्ली डिक्लेरेशन पर आम सहमति बनाने के लिए उन्होंने 200 घंटे से अधिक बातचीत की.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अमिताभ कांत ने कहा कि संयुक्त सचिव ईनाम गंभीर और के नागराज नायडू सहित राजनयिकों की टीम ने अन्य देशों के सचिवों के साथ 300 द्विपक्षीय बैठकें कीं और यूक्रेन-संघर्ष को लेकर 15 ड्राफ्ट सर्कुलेट किए.
विशेष प्रयास: 200 घंटों की मेहनत से मिली आम सहमति
कांत ने कहा, “इस प्रयास के नतीजे में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के पहले दिन ही दिल्ली डिक्लेरेशन पर आम सहमति बन गई.” कांत ने एक्स पर लिखा कि जी20 का सबसे जटिल हिस्सा भू-राजनीतिक (रूस-यूक्रेन) पर आम सहमति बनाना था. यह 200 घंटे की नॉन-स्टॉप वार्ता, 300 द्विपक्षीय बैठकें, 15 ड्राफ्ट की मदद से संभव हुआ.”
कांत की टीम के प्रयास: सहमति के पीछे की कहानी
कांत ने कहा कि नायडू और गंभीर के प्रयासों से उन्हें काफी मदद मिली. कांत ने तस्वीर पोस्ट करते हुए उसके कैप्शन में लिखा, “मेरे युवा, गतिशील और प्रतिबद्ध अधिकारियों की टीम के साथ, जिन्होंने जी20 पर 100% सर्वसम्मति प्रदान की है.”
थरूर की सराहना: भारत के लिए गर्व का क्षण
इस बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ‘दिल्ली डिक्लेरेशन’ पर सर्वसम्मति के लिए अमिताभ कांत की सराहना की और कहा कि यह जी20 में भारत के लिए गर्व का क्षण था. एक इंटरव्यू में कांत की टिप्पणियों को टैग करते हुए थरूर ने एक पोस्ट में कहा, “बहुत अच्छा अमिताभ कांत. ऐसा लगता है कि जब आपने आईएएस का विकलप चुना तो आईएफएस ने एक टॉप राजनयिक खो दिया!”
सर्वसम्मति से डिक्लेरेशन को मंजूरी
जी20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध पर जारी मतभेदों को दूर करते हुए भारत ने शनिवार (9 सितंबर) को सर्वसम्मति से डिक्लेरेशन को मंजूर करवाया और एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की. इस मुद्दे पर जी20 देशों के बीच सहमति बनी और ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने सफलता तक पहुंचने में अहम भूमिका निभाई.
डिक्लेरेशन: अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और मानवीय कानून के सिद्धांतों का आह्वान
डिक्लेरेशन में कहा गया, “हम सभी राज्यों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हैं.”