चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) अपनी 3.84 लाख किलोमीटर की लंबी यात्रा पर निकल चुका है, जिसमें यह करीब 42 दिनों तक लगाएगा। लोन्च करने वाले LVM-3 रॉकेट ने इसे 179 किलोमीटर की ऊचाई पर छोड़ा है। इस बार चंद्रयान-3 खुद करेगा अपनी आगे की यात्रा। यह लंडिंग मिशन उद्देश्य को जल्दी से सम्पादित करने के लिए नए तकनीकी एवं सुरक्षा पहलों के साथ आगे बढ़ रहा है।
चंद्रयान-3 की लंबी यात्रा:
चंद्रयान-3 अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए चारों ओर चंद्रमा के 5 चक्कर लगाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि विक्रम लैंडर सही स्थान पर लैंड करे। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर इस मिशन को समर्थन करेगा और लैंडिंग साइट की खोज करने में मदद करेगा।
चंद्रयान-3 की लॉन्च और ऑर्बिट:
चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट ने ऊपरी तापमान में उत्पन्न हुए विपरीत बल के चलते 179 किलोमीटर ऊपर तक पहुंचाया है। इस बार के लॉन्च के बाद, चंद्रयान-3 को 170X36,500 किलोमीटर की अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थानांतरित किया गया है। यह तबादला पिछली मिशन की तुलना में अधिक स्थिरता प्रदान करने के लिए किया गया है।
लैंडिंग मिशन और तत्वों का अद्यतन:
विक्रम लैंडर में इंजन, सेंसर्स, और तकनीक में कई अपग्रेड किए गए हैं। नए सेंसर्स और तकनीकी तत्व जोड़े गए हैं ताकि गलतियों की संभावना को कम किया जा सके। विक्रम लैंडर को 96 मिलीसेकेंड का समय मिलेगा गलतियां सुधारने के लिए। यह सुनिश्चित करेगा कि लैंडिंग प्रक्रिया सफलतापूर्वक हो।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग:
23 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा। विक्रम लैंडर को विशेष तकनीक और नई ताकतवर इंजन के साथ लंगर टाइम ड्यूरेशन बूस्ट कोर्स इंजन (LTD-CE-20) द्वारा धीमी गति प्रदान की जाएगी। चंद्रयान-3 लंडिंग क्षेत्र का क्षेत्रफल पहले की तुलना में बड़ा हुआ है, जिससे विक्रम लैंडर को बड़े इलाके में उतरने की क्षमता मिलेगी।