Wednesday, July 24, 2024
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121+ संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas With Meaning with Hindi

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Sanskrit Shlokas With Meaning: आज, मैं आपको संस्कृत श्लोकों के बारे में बताना चाहता हूं. संस्कृत श्लोक एक प्रकार का कविता है जो संस्कृत भाषा में लिखा जाता है. संस्कृत एक प्राचीन भारतीय भाषा है जो आज भी दुनिया भर में बोली जाती है. संस्कृत श्लोकों का एक लंबा और समृद्ध इतिहास है. वे भारतीय संस्कृति और साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

संस्कृत श्लोकों को अक्सर शिक्षाप्रद और प्रेरक विचारों को व्यक्त करने के लिए उपयोग किया जाता है. वे हमें जीवन के मूल्यों और नैतिकता के बारे में सिखाते हैं. वे हमें प्रेरित करते हैं और हमें बेहतर इंसान बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

यहां एक संस्कृत श्लोक है जो जीवन पर एक विचार व्यक्त करता है:

न दाक्षिण्यं न सौशील्यं न कीर्तिः नसेवा नो दया किं जीवनं ते।

(अर्थ: ना दान है ना सुशीलता है ना कीर्ति है ना सेवा है ना दया है तो ऐसा जीवन क्या है?)

इस श्लोक का अर्थ है कि एक व्यक्ति बिना दान, सुशीलता, कीर्ति, सेवा और दया के जीवन जीने का क्या अर्थ है? ये सभी गुण एक अच्छे जीवन के लिए आवश्यक हैं।

Popular Sanskrit Slokas Meaning in Hindi

“असतोमा सद्गमय।
तमसोमा ज्योतिर्गमया।
मृत्योर्मामृतं गमय।”

अर्थ: मुझे असत्य से सत्य की ओर ले जाओ। मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाओ। मुझे मृत्यु से अमृत की ओर ले जाओ।

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि।”

अर्थ: तू केवल कर्म में ही अधिकारी है, कर्मफल में कभी नहीं। इसलिए कर्मफल के लिए मत प्रयत्न कर, और कर्म में आसक्ति मत कर।

“अहिंसा परमो धर्मः, धर्म हिंसा तथैव च।
आदत्ते तुलयां यत्र, तत्र देवो महेश्वरः।”

अर्थ: अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है, और धर्म में हिंसा नहीं होनी चाहिए। जहाँ यह दोनों समान होते हैं, वहाँ महादेव भी निवास करते हैं।

“सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्।”

अर्थ: सभी सुखी रहें, सभी रोगमुक्त रहें। सभी भलाइयाँ देखें, किसी को दुःख का हिस्सा न बनने दें।

“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।”

अर्थ: जहाँ स्त्रियाँ पूजनीय होती हैं, वहाँ देवताएँ विराजमान होती हैं। जबकि जहाँ वे न पूजनीय होती हैं, वहाँ सभी क्रियाएँ व्यर्थ होती हैं।

Sanskrit shloka from Bhagavad Gita with Hindi

भगवद गीता में से पाँच श्रेष्ठ श्लोक और उनके हिंदी अर्थ (best shlokas of bhagwat geeta) निम्नलिखित हैं:

श्रीभगवानुवाच |
कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम् |
अनर्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन ||

अर्थ: श्रीभगवान् ने कहा: हे अर्जुन, तुझे इस अवस्था में यह आपत्ति कहाँ से आई? यह स्वर्गयोग्य नहीं है, अनादरित और लोकमान्यता का नाश करने वाला है।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन |
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ||

अर्थ: तू केवल कर्म में ही अधिकारी है, कर्मफल में कभी नहीं। इसलिए कर्मफल के लिए मत प्रयत्न कर, और कर्म में आसक्ति मत कर।

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ||

अर्थ: हे भारत, जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं स्वयं को प्रकट करता हूँ।

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् |
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ||

अर्थ: साधुओं की रक्षा के लिए और दुष्टों के विनाश के लिए, धर्म की स्थापना के लिए, मैं युग-युग में अवतरण करता हूँ।

योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ||

अर्थ: हे धनञ्जय, कर्मों में योग्य रहकर और संग को त्यागकर सिद्धि और असिद्धि में समानभाव रखकर तू योग को उचित माना जाता है।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, फल पर कभी नहीं।

सुखदु:खे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
सुख और दुःख को समान मानकर, लाभ और हानि, जीत और हार को एक ही समझकर कर्म करो।

यथा हि धान्यसमग्रे पुरुष: पश्यति चक्षुषा।
जैसे एक पुरुष अनाज के पूरे समूह में एक ही अन्न कण को देखता है,

तथा सर्वेषु भूतेषु आत्मानं पश्यन् न संशय:।
वैसे ही सभी प्राणियों में आत्मा को देखता है, और इसमें कोई संदेह नहीं है।

Saraswati shloka in Sanskrit with Hindi

सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥

अर्थ: हे सरस्वती माता, मैं आपको प्रणाम करता हूँ, जो कामनाओं की पूरी करने वाली है। मैं विद्या का आरंभ करने जा रहा हूँ, कृपा करके मेरे साथ हो, मेरी सदा सिद्धि हो।

वागीश्वरी विद्यां दात्री वीणापुस्तकधारिणी।
बुद्धिं प्रदे दयां कारी मातर्मे सरस्वती॥

अर्थ: हे वागीश्वरी, विद्या की दात्री, वीणा और पुस्तकों की धारिणी, बुद्धि और दया की प्रदात्री, हे मातर सरस्वती, कृपा करके मुझे बुद्धि दीजिए।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

अर्थ: जिसकी मुकुट मनिःमाणिपूरित हो और जो कुंदलों और श्वेत वस्त्र से युक्त है, जिसके हाथ में वीणा और दण्ड बना हो, जो श्वेत पद्मासन में बैठी है, जो ब्रह्मा, विष्णु, और शंकर आदि देवताओं द्वारा सदा पूजित होती है, वह माता सरस्वती मुझे सब प्रकार के जड़ता और बुराइयों से मुक्ति प्रदान करें।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

अर्थ: जिनके मुख के छायांकने वाले नीलकमल, जिनके बाल सोने की बालियाँ हैं, जिनका वस्त्र भी सोना है, जिनकी मुद्रा में विद्या की बरसात होती है, जिनके हाथ में वीणा है, जो नीलकमल पर बैठी हैं, जिनके पैरों के नीले नायक हैं, जिनकी वाहना गरुड़ है, वह माता सरस्वती मुझे बुद्धि दें।

या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

अर्थ: जिनकी वाहना स्वान है, जिनकी दोनों ओर गरुड़ विराजमान हैं, जिनके हाथ में वीणा है, जो नृत्य करती हैं, जिनकी आंखों में अश्रु हैं, जो सदा गरुड़ पर बैठी हैं, वह माता सरस्वती मुझे बुद्धि प्रदान करें।

ॐ श्रीर सरस्वत्यै नमः
हे सरस्वती, मैं आपको प्रणाम करता हूं।

ॐ श्रीसरस्वत्यै विद्यां देहि
हे सरस्वती, मुझे ज्ञान दें।

ॐ श्रीसरस्वत्यै वचनं देहि
हे सरस्वती, मुझे वाणी बोलो।

ॐ श्री सरस्वत्यै संगीतं देहि
हे सरस्वती, मुझे संगीत पुस्तिका।

ॐ श्रीसरस्वत्यै कलाम देहि
हे सरस्वती, मुझे कला सिखाओ।

Krishna Shloka in Sanskrit with Hindi

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥

अर्थ: तू केवल कर्म में ही अधिकारी है, कर्मफल में कभी नहीं। इसलिए कर्मफल के लिए मत प्रयत्न कर, और कर्म में आसक्ति मत कर।

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

अर्थ: हे भारत, जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं स्वयं को प्रकट करता हूँ।

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥

अर्थ: साधुओं की रक्षा के लिए और दुष्टों के विनाश के लिए, धर्म की स्थापना के लिए, मैं युग-युग में अवतरण करता हूँ।

योगिनामपि सर्वेषां मद्गतेनान्तरात्मना।
श्रद्धावान्भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः॥

अर्थ: सभी योगियों में भी वह सबसे योग्य है, जो मेरे अंतरात्मा में निरंतर स्थित है और श्रद्धायुक्त होकर मुझे भजता है, वह मेरे लिए सबसे श्रेष्ठ योगी माना जाता है॥

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय नमः
हे कृष्ण, मैं आपसे प्रार्थना करता हूं।

ॐ कृष्णाय गोविंदाय नमः
हे कृष्ण, मैं आपको गोविंद के रूप में प्रणाम करता हूं।

ॐ कृष्णाय नंदनाय नमः
हे कृष्ण, मैं आपको नंदा के रूप में प्रणाम करता हूं।

ॐ कृष्णाय राधावल्लभाय नमः
हे कृष्ण, मैं आपको राधा के प्रिय के रूप में प्रणाम करता हूँ।

ॐ कृष्णाय गोपीजनवल्लभाय नमः
हे कृष्ण, मैं आपको गोपियों के प्रियजनों के रूप में प्रणाम करता हूँ।

Vakratunda Mahakaya Shloka in Sanskrit with Hindi

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

अर्थ: हे वक्रतुण्ड (गणेश), विशाल शरीरवाले, सूर्य कोटि समान प्रकाशवाले, मेरे सभी कार्यों में हमेशा सब प्रकार की बाधाओं को दूर करो, हे देव, मेरे सभी कार्यों में सदैव विघ्ननाश करो॥

निर्विघ्नं कुरु मेय देवा सर्वकार्येषु सर्वदा
हे देव मेरे सभी कार्यकलापों में मुझे जोड़े से मुक्त रखें।

ज्ञानं बुद्धिं आयुष्यं श्रीं सर्वं देहि नमोह नमः
हे देव, मुझे ज्ञान, बुद्धि, आयु और समृद्धि प्रदान करें।

ॐ श्री गणेशाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नः सुग्रीव प्रचोदयात्
हे गणेश, हम आपको जानते हैं, आप वक्रतुंड हैं, कृपया हमें सुगृहवान् बताएं।

ॐ श्री गणेशाय नमः
हे गणेश, आपको नमस्कार।

ॐ श्री गणेशाय वक्रतुण्डाय नमः
हे वक्रतुंड गणेश, आपको नमस्कार।

ॐ श्री गणेशाय सूर्यकोटि समप्रभाय नमः
हे सूर्य के कोटियों के समान प्रभासमान गणेश, आपको नमस्कार।

ॐ श्री गणेशाय निर्विघ्नं कुरु मेय देव सर्वकार्येषु सर्वदा नमः
हे देव, मेरे सभी कार्यकलापों में मुझे कचरे से मुक्त रखें, आपको नमस्कार।

ॐ श्री गणेशाय ज्ञानं बुद्धिं आयुष्यं श्रीं सर्वं देहि नमोह नमः
हे देव, मुझे ज्ञान, बुद्धि, आयु और समृद्धि प्रदान करें, आपको नमस्कार।

ॐ श्री गणेशाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नः सुग्रीव प्रचोदयात्
हे गणेश, हम आपको जानते हैं, आप वक्रतुंड हैं, कृपया हमें सुगृहवान् बताएं, आपको नमस्कार।

Sanskrit shlokas with Hindi meaning

असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय।

अर्थ: मुझे असत्य से सत्य की ओर ले जाओ। मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाओ। मुझे मृत्यु से अमृत की ओर ले जाओ।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि।

अर्थ: तू केवल कर्म में ही अधिकारी है, कर्मफल में कभी नहीं। इसलिए कर्मफल के लिए मत प्रयत्न कर, और कर्म में आसक्ति मत कर।

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।

अर्थ: हे भारत, जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं स्वयं को प्रकट करता हूँ।

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्।

अर्थ: सभी सुखी रहें, सभी रोगमुक्त रहें। सभी भलाइयाँ देखें, किसी को दुःख का हिस्सा न बनने दें।

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।

अर्थ: जहाँ स्त्रियाँ पूजनीय होती हैं, वहाँ देवताएँ विराजमान होती हैं। जबकि जहाँ वे न पूजनीय होती हैं, वहाँ सभी क्रियाएँ व्यर्थ होती हैं।

ओम श्री कृष्णाय नमः – हे कृष्ण, आपको नमस्कार।
ओम श्री रामाय नमः – हे राम, आपको नमस्कार।
ओम श्री दुर्गाये नमः – हे दुर्गा, आपको नमस्कार।
ओम श्री लक्ष्मीये नमः – हे लक्ष्मी, आपको नमस्कार।
ॐ श्री सरस्वतीये नमः – हे सरस्वती, नमस्कार।

Dhanvantari Shloka in Sanskrit with Hindi

ॐ धन्वंतरे नमः
हे धन्वंतरि, आपको नमस्कार।

द्वादशाङ्गुल-विक्रमादिभिः कृष्णा द्वादशाङ्गुल-मानितः।
त्रिनेत्रोऽऽयं धन्वन्तरि प्रभिन्नखर्वासांश्रये॥

अर्थ: धन्वन्तरि भगवान, जिनकी बाहु बारह अंगुलों के बराबर हैं, जो कृष्ण वर्ण के हैं, जिनका त्रिनेत्र है, और जिनके शरीर के प्रत्येक अंगुल माना जाता है, वे मेरे रक्षण करने वाले रहते हैं।

ॐ धन्वन्तरे अमृत कलश हस्ताय नमः
हे धन्वंतरि, आपके हाथों में अमृत कलश है।

ॐ धन्वन्तरे सर्व रोग विमोचनाय नमः
हे धन्वंतरि, आप सभी विध्वंसकों से मुक्ति दिलाते हैं।

ॐ धन्वन्तरे सर्व दुःख विमोचनाय नमः
हे धन्वंतरि, आप सभी दुखों से मुक्ति दिलाते हैं।

ॐ धन्वन्तरे सर्व भय विमोचनाय नमः
हे धन्वंतरि, आप सभी भयों से मुक्ति दिलाते हैं।

ॐ धन्वन्तरे सर्व गृह विमोचनाय नमः
हे धन्वंतरि, आप सभी पवित्र संकेतों से मुक्ति दिलाते हैं।

ॐ धन्वन्तरे सर्व दोष विमोचनाय नमः
हे धन्वंतरि, आप सभी दोषों से मुक्ति दिलाते हैं।

ॐ धन्वन्तरे सर्व आयुष्य दायक नमः
हे धन्वंतरि, आप सभी को शुभकामनाएं प्रदान करें।

ॐ धन्वन्तरे सर्व श्रेयस दायक नमः
हे धन्वंतरि, आप सभी को समृद्धि प्रदान करें।

ॐ धन्वंतरे सर्व सुख दायक नमः
हे धन्वंतरि, आप सभी को सुख प्रदान करें।

Ganesh Shloka in Sanskrit with Hindi

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

अर्थ: हे वक्रतुण्ड (गणेश), विशाल शरीरवाले, सूर्य कोटि समान प्रकाशवाले, मेरे सभी कार्यों में हमेशा सब प्रकार की बाधाओं को दूर करो, हे देव, मेरे सभी कार्यों में सदैव विघ्ननाश करो॥

गजाननं भूतगणादि सेवितं।
कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्।
उमासुतं शोकविनाशकारणं।
नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम्॥

अर्थ: भगवान गणेश, जिनका वाहन गज (हाथी) है, जिनकी सेवा भूतगण और अन्य देवताओं द्वारा की जाती है, जिन्होंने कपित्थ और जम्बू फल को भी भक्षित किया है, जो उमा (पार्वती) के पुत्र हैं और जो शोक का नाश करने वाले हैं, मैं उनके पादपद्मों को नमस्कार करता हूँ।

विघ्नराजं नमस्कुरमो विघ्नेश्वरमजम्।
विघ्नराजो गणाध्यक्षं रक्ष सर्वगणेश्वरम्॥

अर्थ: हम विघ्नराज को नमस्कार करते हैं, जिनका नाम विघ्नेश्वर है, जो विघ्नों के नेता हैं, गणों के आदिपति हैं, हम सभी गणपतियों की सुरक्षा करें॥

ॐ श्री गणेशाय नमः
हे गणेश, आपको नमस्कार।

ॐ श्री गणेशाय वक्रतुण्डाय नमः
हे वक्रतुंड गणेश, आपको नमस्कार।

ॐ श्री गणेशाय सूर्यकोटि समप्रभाय नमः
हे सूर्य के कोटियों के समान प्रभासमान गणेश, आपको नमस्कार।

ॐ श्री गणेशाय निर्विघ्नं कुरु मेय देव सर्वकार्येषु सर्वदा नमः
हे देव, मेरे सभी कार्यकलापों में मुझे कचरे से मुक्त रखें, आपको नमस्कार।

ज्ञानं बुद्धिं आयुष्यं श्रीं सर्वं देहि नमोह नमः
हे देव, मुझे ज्ञान, बुद्धि, आयु और समृद्धि प्रदान करें, आपको नमस्कार।

ॐ श्री गणेशाय पद्मे वसीने नमः
हे गणेश, जो कमल पर हैं, आपको नमस्कार।

ॐ श्री गणेशाय मुक्तके नमः
हे गणेश, जो मुक्त हैं, आपको नमस्कार।

ॐ श्री गणेशाय दुःख हरणाय नमः
हे गणेश, जो दुखों को दूर करते हैं, आपको नमस्कार।

ॐ श्री गणेशाय संरक्षणाय नमः
हे गणेश, जो हमारी रक्षा करते हैं, आपको नमस्कार।

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