प्रधान आरक्षक स्व. देवचरण मराबी पूर्व में जीपीएम जिला में पदस्थ थे. पुलिस महानिरीक्षक, बिलासपुर रेंज के आदेश पर बिलासपुर स्थानांतरण पर पिछले 2 साल से कार्यरत थे. बिलासपुर में ड्यूटी के दौरान 20 अक्टूबर 2023 को देवचरण मराबी का आकस्मिक निधन हो गया था.
पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज, बिलासपुर के आदेश पर जीपीएम जिले की एसपी भावना गुप्ता की ओर से स्व. देवचरण मराबी के 9 वर्षीय बेटे आश्विक मराबी को बाल आरक्षक के पद पर नियुक्ति दी गई. साथ ही एसपी भावना गुप्ता ने आश्विक को कहा कि अच्छे से पढ़ाई करें, आगे बहुत संभावनाएं हैं, पूरा पुलिस परिवार आपके साथ है. इस दौरान उप पुलिस अधीक्षक मुख्यालय निकिता तिवारी, थाना प्रभारी गौरेला सौरभ सिंह और कार्यालीन स्टाफ उपस्थित थे.
क्या होता है बाल आरक्षक ?
ड्यूटी के दौरान कर्मचारी के आकस्मिक निधन पर परिवार के एक बालिग सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति देने का प्रावधान सभी सरकारी विभागों में होता है. इसी तरह से पुलिस विभाग में भी अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान है, लेकिन पुलिस विभाग और अन्य विभाग में यह अन्तर है कि यदि ड्यूटी के दौरान दिवंगत पुलिस कर्मी के परिवार में नौकरी पाने वाला सदस्य बालिग नहीं है तो उसे नाबालिग रहने के दौरान बाल आरक्षक के पद पर नियुक्ति दे दी जाती है.
इसी प्रावधान के तहत दिवंगत प्रधान आरक्षक देवचरण मराबी के पुत्र आश्विक मराबी को बाल आरक्षक के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति दी गई है. जिसे बाल आरक्षक के पद पर नियुक्ति मिलती है, उसे आरक्षक से आधा वेतन प्रतिमाह दिया जाता है. बालिग होने तक बाल आरक्षक को ड्यूटी के रूप महीने में सिर्फ एक दिन पुलिस लाइन में जाकर हस्ताक्षर करना होता है. बाल आरक्षक को पुलिस विभाग की ओर से पढ़ाई के लिए भी सुविधा दी जाती है.
बाल आरक्षक के पद पर नियुक्त हुए 9 वर्षीय आश्विक मराबी पुलिस आरक्षक के पद पर नियुक्त हो चुके हैं, लेकिन उन्हें महीने में एक दिन पुलिस लाइन में जाकर उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर करना पड़ेगा. बाकी समय वो पढ़ाई करेंगे. पुलिस विभाग उन्हें महीने का आधा वेतन देगा. जिस दिन आश्विक मराबी 18 वर्ष के हो जाएंगे, तो वो पूर्ण रूप से आरक्षक के पद पर पदस्थ हो जाएंगे और उन्हें पूर्ण वेतन मिलने लगेगा.